Gandhi jayanti 2nd Oct





गांधी जयंती (2024) एक छोटी सी कहानी और उनके दस आंदोलन/A little story and his 10 movements.



महात्मा गांधी का जीवन प्रेरणा, सेवा और सत्य के प्रति आदित्य समर्पण का प्रतीक है।  महात्मा गांधी का जन्मदिन 2 अक्टूबर को हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। गांधी जी की 155वी जयंती पर एक रोचक कहानी के बारे में जानना पाठकों के लिए दिलचस्प होगा।


कहानी

एक छोटे बच्चे से बड़ी सीख




गांधीजी की जीवन शैली में सादगी और आत्म संयम प्रमुख थे। लेकिन यह कहानी एक विशेष घटना पर आधारित है जो उनके विनम्र स्वभाव को स्पष्ट करती है। जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में वकालत कर रहे थे और भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। एक दिन उनके पास एक गरीब किसान अपने बच्चों के साथ आया किसान को यह चिंता थी कि उसका बच्चा मिठाई खाने का आदी हो चुका था और वह उसकी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता था। किसान ने गांधी जी से आग्रह किया कि वह उसके बच्चे को मिठाई खाने से मना करें, क्योंकि बच्चा गांधी जी की बात मानता था। गांधी जी ने किसान को एक हफ्ते के बाद आने को कहा एक हफ्ते बाद जब किसान अपने बच्चे के साथ लौटा तब गांधी जी ने बच्चे को अपने पास बुलाकर कहा, "बेटा मिठाई खाना बंद करो, यह तुम्हारी सेहत के लिए हानिकारक है" किसान ने आश्चर्य से होकर पूछा आपने यह बात पिछली बार ही क्यों नहीं कह दी। गांधी जी ने उत्तर दिया क्योंकि उस समय में मैं खुद मिठाई खा रहा था, "जब तक मैं खुद उस आदत से मुक्त नहीं हो गया, तब तक दूसरों को यह सलाह देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं था" यह छोटी सी घटना गांधी जी की नैतिकता और ईमानदारी को दर्शाती है कि वह सिर्फ उपदेश देने में विश्वास नहीं रखते थे, बल्कि उन्हें खुद अपने जीवन में उतारते थे। यही गुण उन्हें महान बनाता है।




iStock Credit: 2024 के संदर्भ में गांधी जी की प्रासंगिकता





आज के समय में जबकि दुनिया जलवायु परिवर्तन, सामाजिक विषमता और राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रही है, गांधी जी के विचार और उनके द्वारा प्रतिपादित मूल्य और भी प्रासंगिक हो गए हैं। आज जब हम गांधी जी की जयंती मना रहे हैं, हमें यह सोचना चाहिए कि उनके आदर्श कैसे हमारे वर्तमान समस्याओं का समाधान दे सकते हैं।




1. गांधी जी और जलवायु संकट





गांधी जी ने हमेशा "सादा जीवन उच्च विचार" का समर्थन किया उनका यह विचार आज की उपभोक्तावादी संस्कृति से मेल खाता है, जो पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रही है। वर्तमान में जब पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का खतरा और अधिक गंभीर हो गया है, गांधी जी का यह संदेश और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। उनकी जीवन शैली सादगी और स्वालंबन पर आधारित थे जो हमें पर्यावरण को बचाने के लिए प्रेरित करती है।




2. सत्य और अहिंसा की प्रासंगिकता





गांधी जी ने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन के दो प्रमुख स्तंभ बनाए। आज जहां हिंसा और असहिष्णुता बढ़ रही है। गांधीजी का अहिंसा का सिद्धांत हमें शांति और समझदारी की ओर ले जा सकता है। समाज में हो रही और असहमति और ध्रुवीकरण के इस दौर में गांधीजी के उपदेश और धैर्य पर आधारित दृष्टिकोण बेहद जरूरी है।




3. सामाजिक न्याय और समानता





गांधी जी ने सामाजिक न्याय, जाति धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई। हम लैंगिक समानता, नक्सलीय न्याय और LGBT+ अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। गांधी जी का समावेशी दृष्टिकोण आज भी हमें प्रेरित करता है।




4. स्वदेशी और आत्मनिर्भरता की भावना





स्वदेशी का गांधी जी का विचार न केवल भारत के आजादी के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि आज भी आत्मनिर्भरता और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने का संदेश देता है। दुनिया वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता का सामना कर रही है। गांधी जी का आत्मनिर्भरता पर जोर हमें स्थानीय संसाधनों का सम्मान करने और उपयोग करने की सीख देता है।






गांधी जी के विचारों की 2024 में उपयोगिता





2024 में हम गांधी जी की 155वीं जयंती मना रहे हैं तब हमें उनकी विचारों से सीख लेने की आवश्यकता है।




1. संपूर्ण विकास का दृष्टिकोण





गांधी जी का विकास का दृष्टिकोण केवल आर्थिकउन्नति तक सीमित नहीं था बल्कि वह नैतिक और आध्यात्मिक विकास पर भी जोर देते थे। जब दुनिया आर्थिक असमानता, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक अस्थिरता से ग्रस्त है। गांधी जी का दृष्टिकोण हमें एक संतुलित और समग्र विकास की ओर प्रेरित कर सकता है।




2. स्वास्थ्य और कल्याण





गांधी जी प्राकृतिक जीवन शैली में विश्वास करते थे। उनका मानना था कि शरीर और मन का स्वस्थ होना ही सच्ची समृद्धि है। आज जब दुनिया स्वास्थ्य संकटों और मानसिक तनाव के युग में जी रही है, उनकी सादगी और प्राकृतिक उपचार पद्धतियां हमें जीवन को फिर से सरल और स्वस्थ बनाने के लिए प्रेरित करती है।






महात्मा गांधी के जीवन में कई महत्वपूर्ण आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी। उनके नेतृत्व में चलाए गए यह आंदोलन न केवल भारत को आजादी दिलाने के लिए महत्वपूर्ण थे बल्कि उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को भी जनमानस में स्थापित किया। आइए हम गांधी जी के प्रमुख आंदोलन को पुनः स्मरण करते है। यह वो निम्नलिखित आन्दोलन है, जिसमें भारत की दिशा और दशा में एक बड़ा परिवर्तन शामिल है।




1.चंपारण सत्याग्रह (1917)





यह गांधी जी का पहला बड़ा आंदोलन था, जिसे उन्होंने बिहार के चंपारण जिले में नील किसानों के समर्थनों में चलाया था। अंग्रेज बागान मालिक किसानों को जबरदस्ती नील उगाने के लिए मजबूर कर रहे थे। गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाकर इस अन्याय का विरोध किया। जिससे अंग्रेज सरकार को झुकना पड़ा, और किसानों को राहत मिली।





2.अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918)





गांधी जी ने अहमदाबाद के कपड़ा मिल मजदूरों के वेतन वृद्धि की मांग के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया। मजदूर की मांगों को पूरा न करने पर उन्होंने भूख हड़ताल की। जिससे अंतत मजदूरों की स्थिति में सुधार हुआ। यह आंदोलन मजदूरों के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत साबित हुआ। गांधी जी की नेतृत्व क्षमता को और अधिक मान्यता मिली।




3.खिलाफत आंदोलन (1919 1924)





यह आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की में खलीफा के पद को समाप्त करने के विरोध में मुस्लिम समुदाय द्वारा शुरू किया गया था। गांधी जी ने हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए इस आंदोलन का समर्थन किया और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ दिया हालांकि यह आंदोलन अंततः असफल रहा। लेकिन इसके दौरान हिंदू मुस्लिम एकता को एक महत्वपूर्ण बल मिला।




4.असहयोग आंदोलन (1920 1922)





यह गांधी जी का पहला बड़ा अखिल भारतीय आंदोलन था, जो जलियांवाला बाग हत्याकांड और रोलेट एक्ट के विरोध में शुरू किया गया था। गांधी जी ने लोगों से ब्रिटिश संस्थाओं का बहिष्कार करने सरकारी नौकरियां, स्कूलों और अदालतों से दूर रहने का आह्वान किया। आंदोलन को व्यापक समर्थन मिला। लेकिन चौरी चौरा घटना (1922) में हुई हिंसा के बाद गांधी जी ने इसे अचानक समाप्त कर दिया।




5.सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक आंदोलन (1930)





यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के विरोध में शुरू किया गया था। गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को दांडी मार्च की यात्रा शुरुआत की, जिसमें उन्होंने साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील पैदल यात्रा की, और समुद्र से नमक बनकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। यह आंदोलन देशव्यापी हो गया और लोगों ने ब्रिटिश कानून का पालन करने से मना कर दिया। सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को गंभीर चुनौती द। यह आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में एक बड़ा कदम था।




6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)





गांधी जी का यह अंतिम बड़ा आंदोलन था जिसे उन्होंने "अंग्रेजों भारत छोड़ो" के नारे के साथ 8 अगस्त 1942 को शुरू किया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के भारत पर कब्जे के विरोध में यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया। गांधी जी और अन्य प्रमुख नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन देशभर में आंदोलन जारी रहा हालांकि यह आंदोलन हिंसा के साथ भी जुड़ा रहा, लेकिन इसने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाया और भारतीय स्वतंत्रता की मांग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।




7. हरिजन आंदोलन (1932 1948)





गांधी जी ने छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ हरिजन आंदोलन चलाया उन्होंने दलितों को "हरिजन" कहा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रयास किए। उन्होंने मंदिरों में दलितों के प्रवेश, शिक्षा के स्वरूप, और सार्वजनिक सुविधाओं में समानता की वकालत की। इस आंदोलन का उद्देश्य समाज में हाशिए पर पड़े लोगों को मुख्य धारा में लाना था।




8. खेड़ा सत्याग्रह (1918)





खेड़ा गुजरात के किसानों पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए अत्यधिक करो के विरोध में यह सत्याग्रह शुरू किया गया था। गांधी जी ने किसानों से कर न चुकाने का आह्वान किया कि जब तक कि उनकी स्थिति में सुधार न हो जाए। इस आंदोलन में गांधीजी के नेतृत्व में किसानों ने कर अदायगी का बहिष्कार किया और अंतत सरकार ने उनकी मांगे स्वीकार कर ली।




9.व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940 1941)





द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गांधी जी ने अंग्रेजों को बिना भारतीयों की सहमति के युद्ध में शामिल करने के विरोध में व्यक्तिगत सत्याग्रह की शुरुआत की यह एक शांतिपूर्ण विरोध था। जिसमें सत्याग्रही ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक व्यक्तिगत रूप से विरोध करते थे। इस सत्याग्रह के तहत हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया।




10.वर्धा शिक्षा योजना (1937)





चूंकि यह आंदोलन नहीं था लेकिन गांधी जी ने भारत में शिक्षा के सुधार के लिए वर्धा योजना की शुरुआत की उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य न केवल पढ़ाई लिखाई होना चाहिए, बल्कि जीवन कौशल शारीरिक श्रम और नैतिक मूल्यों का भी समावेश होना चाहिए।





निष्कर्ष





जिस प्रकार आज प्रत्येक देश एक दूसरे के खिलाफ़ साजिशें रच रहा है, बड़े मुल्क छोटे छोटे देशों को तबाह करने पर तुले हैं, और तमाम मानव अधिकारों को लेकर बनी संस्थाएं मूक दर्शक बनी देख रही है, चाहे इजराइल हमास का युद्ध हो या रूस यूक्रेन का भयावह युद्ध हो, बड़े समर्थ देश तमाशबीन बनकर अपना स्वार्थ साध रहे है। विश्व भर में अमानवीय घटनाओं, गरीबों की दुर्दशा, अत्याचार, अनाचार, उनकी असहाय स्तिथि, राजनीक भ्रष्टाचार, अनैतिकता, मानवीय मूल्यों में गिरावट को देखते हुए आज हमें एक नही बल्कि कई गांधी की जरूरत है, जो परिवर्तन लेकर आए..शांति लाए..अहिंसा लाए..प्रेम का संदेश फैलाए।


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