Hindenburg Reaserch Report News on SEBI हिंडनबर्ग, सेबी और रिपोर्ट में जुड़ा विवादइस बार ने हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी धोखेबाजों को बचा रहा है।




"Something big soon India"

Hindenburg Reaserch 


भारत में हिंडनबर्ग के इस ट्वीट ने तहलका मचा दिया है। अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म के मालिक Hindenburg Reaserch ने X पर ये पोस्ट लिखा है कि "भारत में कुछ बड़ा होने वाला है"


शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने पिछले साल अडानी ग्रुप पर भी शेयर मैनिपुलेशन के आरोप लगाए थे। अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने यह बात लिखी है।  इस पोस्ट के बाद हिंडनबर्ग ने एक और नई रिपोर्ट के बारे में संकेत दिया है जो उसने 2023 में अडानी ग्रुप पर लगाए थे। इस बार इसकी रिपोर्ट ने भारत में सेबी के ऊपर आरोप लगाए है।



24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक अडानी पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी और उसके बाद अदानी ग्रुप के शेयर्स में भारी गिरावट देखने को मिल गई। हालाकि इसके बाद अदानी के शेयर्स में रिकवरी भी हो गई।



हिंडनबर्ग की शॉर्ट सेलिंग कंपनी ऐसी कंपनियों पर रिसर्च करती है, जो घोटाले करती हैं। ये कंपनी एक पुख्ता रिपोर्ट तैयार कर उन घोटालों का खुलासा करती है, और बाजार में उस कंपनी के शेयर्स शार्ट करके मुनाफा कमाती है। रिपोर्ट पब्लिश कर वो उन कंपनियों को चैलेंज भी करती है कि अगर हम गलत हैं तो आप हमारी रिपोर्ट को कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं।



शॉर्ट सेलिंग यानि पहले शेयर्स को बेचना और बाद में खरीदना



शॉर्ट सेलिंग का मतलब उन शेयर्स को बेचने से है जो ट्रेड के समय ट्रेडर के पास नहीं होते हैं। इन shares को बाद में खरीद कर पोजीशन को Square off  किया जाता है। शॉर्ट सेलिंग से पहले शेयर को उधार लेने या देने की व्यवस्था जरूरी होती है।  सरल भाषा में कहें तो जिस तरह आप शेयर्स को खरीदते है और फिर उसे बेचते हैं, इस तरह शॉर्ट सेलिंग में पहले शेयर बेचे जाते हैं और फिर उन्हें खरीदा जाता है।  इस तरह बीच का जो भी अंतर आता है वही आपका प्रॉफिट या लॉस होता है।



रिपोर्ट के बाद Adani Enterprises का शेयर 59% गिर गए थे।  24 जनवरी को Adani Group की Flagship Company अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर प्राइस 3442 रुपए था 25 जनवरी को यह 1.54% गिरकर 3388 रुपए पर बंद हुआ था। 27 जनवरी को शेयर के भाव 18% गिरकर 2761 रुपए पर आ गए थे। 22 फरवरी तक यह 59% गिरकर 1404 रुपए तक पहुंच गए थे। हालांकि बाद में शेयर में रिकवरी देखने को मिली। 9 अगस्त, 24 शुक्रवार को अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर  0.60 परसेंट की तेजी के साथ 3186 रुपए के स्तर पर बंद हुआ।



2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद भारतीय निवेशकों के 8.50 लाख करोड़ डूबे थे। इन शेयर्स में भारत के पेंशन स्कीमस, एलआईसी, आम आदमी और छोटे रिटेलर्स का पैसा लगा हुआ था।





Hindenburg research ने अपने ब्लॉग में लिखा था जनता और सुप्रीम कोर्ट पर इस मामले की जांच के लिए दबाव बनाया गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जांच करने के लिए SEBI को आदेशित किया। SEBI Hindenburg research की रिपोर्ट के कई प्रमुख निष्कर्षों से सहमत प्रतीत दिखाई पड़ा।

कोर्ट में सेबी ने अपनी जांच में स्वीकार किया कि कुछ गड़बड़ तो हुई है।




सेबी (SEBI) यानि सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया security and exchange board of India, भारत सरकार की संस्था जिसकी स्थापना 1992 में शेयर मार्केट के निवेशकों की सुरक्षा के लिए हुई थी।





भारतीय शेयर बाजार रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया सेबी ने हिंडनबर्ग को एक नोटिस भी भेजा था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में पाठकों को गुमराह करने के लिए कुछ गलत बयान शामिल है।


सेबी ने कारण बताओं नोटिस में हिडेनबर्ग को चार बड़ी बातें कही थी।




1.सेबी ने कहा कि 2023  25जनवरी से 22 फरवरी के दौरान एक माह में शेयरों में किस प्रकार बदलाव आया।



2.के इंडिया ऑपच्यरुनिटीज ने एक ट्रेडिंग अकाउंट खोला और और रिपोर्ट पब्लिकेशन होने के कुछ दिन पहले ही ट्रेडिंग करना शुरू किया रिपोर्ट प्रकाशन के बाद शॉर्ट पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करके 183.24 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया।



3.हिडेनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिकेशन से ठीक पहले और बाद में अदानी और इंटरप्राइजेज के शेयर में कुछ संस्थाओं की ट्रेडिंग एक्टिविटी के मामले के कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।



4.हिडेनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले अदानी एंटरप्राइजेज के डेरिवेटिव में शॉर्ट सेलिंग एक्टिविटी में कंसंट्रेशन देखा गया।



5.हिडेनबर्ग रिपोर्ट ने "स्कैंडल" जैसे कैची हैडलाइन के उपयोग के माध्यम से जानबूझकर कुछ तथ्यों को सनसनी खेज और डिस्टोर्ट किया।


सेबी ने नोटिस में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने बिना किसी साक्षी के अपनी रिपोर्ट में गलत बयानी की।






इसका जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने सेबी पर कई तरह के आरोप लगाए थे




1.अदानी ग्रुप की कंपनियों ने उसके शेयर्स की कीमत को मेनू प्लेट कर बढ़ाया।




2.मनी लॉन्ड्रिंग और अकाउंटिंग फ्रॉड किया। 8 साल के दौरान पांच CFO बदले




3.ग्रुप के साथ कंपनियों के शेयर की कीमत 85% तक ज्यादा यानी स्काई रॉकेट वैल्यूएशन बढ़ाई।




4.अदानी ग्रुप पर 2.20 लाख करोड़ का कर्ज़ यह उसकी कंपनियों की हैसियत से भी ज्यादा था




5.मॉरीशस और दूसरे देश की कंपनियों में पैसे भेजे उन कंपनियों ने अडानी के शेयर खरीदे।




2023 के बाद एक बार फिर इस ट्वीट ने पूरे भारत के निवेशकों, सेबी और प्रमुख रूप से अडानी को हिला दिया है।




इस बार ने हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी धोखेबाजों को बचा रहा है।

सेबी अपने कर्तव्यों का पूर्ण रूप से पालन नहीं कर रहा है वह धोखा देने वाले निवेशकों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।




हिंडनबर्ग ने कहा है कि भारतीय बाजार के सूत्रों के साथ चर्चा से हमारी समझ यह है कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया यानी कि सेबी अडानी ग्रुप को सहायता देता है और हमारी रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद यह सहायता तुरंत शुरू भी हो गई थी।




Hindenburg की रिपोर्ट कल रात को पब्लिश हो गई है, उन्होंने आरोप लगाया है कि Global Dynamic Opportunity Fund में कथित तौर पर अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी ने अरबों डॉलर निवेश किए हुए है, इस पैसों का इस्तेमाल अडानी ग्रुप के शेयर्स में तेजी लाने के लिए किया गया था। रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कई व्यक्तिगत जानकारियां भी प्रकाशित की है, जिन पर अडानी ने आपत्ति दर्ज की है।




अदानी ग्रुप और सेबी ने सफाई दी है कि यह भारत की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की विदेशियों की साजिश है।






हिंडनबर्ग, सेबी और रिपोर्ट में जुड़ा विवाद






Hindenburg Reaserch का कहना है कि रिपोर्ट को लगभग 18 महीने हो गए और सेबी ने कोई कार्यवाही नहीं की। अपनी रिपोर्ट में उसने आरोप लगाया है कि 18 महीने के बाद भी पुख्ता सबूत होने के बावजूद अडानी ग्रुप कॉरपोरेट सबसे बड़ा घोटाला कर रहा था और स्वतंत्र मीडिया में पड़ताल और यह साबित होने के बावजूद भी सेबी ने कोई कार्यवाही नहीं की।




रिपोर्ट में ऑफशोर मुख्य रूप से मॉरीशस बेस्ट शैल एंटिटीज के एक जाल को उजागर किया था, जिनका इस्तेमाल संदिग्ध अरब डॉलर के अनडिस्क्लोज्ड रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन एंड डिस्क्लोजर इन्वेस्टमेंट ओर स्टॉक मैनिपुलेशन के लिए किया गया था।




हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि 




विहसल ब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की वर्तमान चेयरपर्सन माधवी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफानिंग घोटाले में ऑफशोर फंड्स (बरमूडा और मॉरिशस) दोनों में हिस्सेदारी थी। जिसका इस्तेमाल विनोद अडानी ने किया था।






माधवी बुच और उनके पति धवल बुच ने पहली बार 5 जून 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला था। निवेश का सोर्स सैलरी है और कपल की नेटवर्थ $10 मिलियन आंकी गई है।

माधवी बुच ने अपने उपर लगे आरोपों को निराधार और चरित्र हनन का प्रयास बताया है। सेबी चेयरपर्सन ने सभी फाइनेंशियल रिकॉर्ड डिस्कक्लियर करने की इच्छा व्यक्त की है। अपने पति धवल बुच के साथ एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में उन्होंने कहा है कि "हमारा जीवन और फाइनेंस एक खुली किताब है"






हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी उदय कोटक की फर्म को बचा रही है। उसने कहा है कि उदय कोटक की स्थापित ब्रोकरेज फर्मो ने ऑफशोर फंड स्ट्रक्चर बनाया है, जिसका इस्तेमाल उसके इन्वेस्टर पार्टनर ने अदानी ग्रुप के शेयरों को शॉर्ट सेल कर फायदा उठाने के लिए किया है। सेबी ने नोटिस में केवल के इंडिया ऑपच्यरुनिटीज फंड का नाम रखा है और कोटक के नाम को संक्षिप्त नाम KMIL से छिपा दिया है KMIL यानि कि कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट है। इसमें कहा गया है कि बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने कॉरपोरेट गवर्नेंस पर सेबी की 2017 की कमेटी का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व किया था। हमें संदेह है कि सेबी की ओर से के कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करने का मतलब अपने व्यवसाय को जांच की संभावना से बचाना हो सकता है। जिसे सेबी स्वीकार करती दिख रही है।







हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का खुलासा होने के बाद भारतीय राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस ने कहा है कि नरेंद्र मोदी जांच के नाम पर अपने परम मित्र अडानी को बचाने की कोशिश कर रहे है।

कांग्रेस ने X पर लिखा है कि अडानी महाघोटाले की जांच सेबी को दी गई, अब खबर है कि SEBI की चीफ़ माधवी बुच भी अडानी महाघोटाले में शामिल है, मतलब घोटाले की जांच करने वाला है घोटाले में शामिल है। है ना कमाल की बात ।




आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अडानी को बचाने की आरोप लगाए थे और JPC की मांग की थी, उन्होंने कहा था कि ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) ही इस महाघोटाले की जांच कर सकती है।




कांग्रेस भी इस महाघोटाले की जांच जेपीसी से करवाने की मांग कर रही है। हालांकि मोदी सरकार जेपीसी बनाने को तैयार नहीं है। पीएम मोदी कब तक अडानी को बचा पाएंगे,एक न एक दिन तो पकड़े जाएंगे ऐसा कांग्रेस का कहना है।

कांग्रेस के जयराम रमेश ने बोला है कि सेबी चीफ़ ने पद संभालते ही अडानी से मीटिंग की थी।

उन्होंने X पर लिखा है कि 2022 में सेबी की चीफ़ बनने के तुरंत बाद माधवी पुरी बुच ने गौतम अडानी के साथ दो मीटिंग्स की थी, जबकि उस समय सेबी कथित तौर पर अडानी के लेनदेन की जांच कर रहा था।




आगे उन्होंने कहा है कि संसद का मानसून सत्र 12 अगस्त तक चलने वाला था लेकिन अचानक इस अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया, अब हमें इसका कारण पता चला।




कांग्रेस महासचिव ने अपने बयान में लिखा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से पता चलता है की माधवी और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंड में निवेश किया गया था। इस फंड में अडानी के भाई विनोद अडानी और उनके करीबी सहयोगी चांग चुंग लिंग और नासिर अली ने बिजली उपकरणों के ओवर इन्वॉइसिंग से कमाई रुपए इन्वेस्ट किए थे।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद भारत के शेयर बाजार में कैसी उठा पटक होगी ? यह आने वाले एक हफ्ते तक जाहिर हो जाएगा।

खासकर अडानी के शेयरों पर भी नजर होगी

सोमवार को ट्रेडिंग के दौरान अडानी ग्रुप के शेयरों उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा। फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़े शेयरों पर भी प्रभाव देखने को मिल सकता है।



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