ब्रिटेन में अबकी बार 400 पार
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा अबकी बार 400 पार भारत में तो नहीं लेकिन ब्रिटेन में जरूर कामयाब हो गया है।
ब्रिटेन में सत्ता विरोध की लहर के सामने कंजरवेटिव पार्टी चुनाव हार गई है। कंजरवेटिव पार्टी 121 सीटों पर सिमट गई है। कुल 650 सीट में से लेबर पार्टी ने रिकॉर्ड 412 सीटे प्राप्त की है। लेबर पार्टी को 211 सीटों का फायदा हुआ है। 14 साल के इंतजार के बाद लेबर पार्टी ने कंजरवेटिव पार्टी का सफाया कर दिया है। लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बन गए हैं। नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री ने अपनी विजय रैली में एक तीखा बयान दिया है कि "आखिरकार इस महान देश के कंधों से एक बोझ उतर गया है, अब परिवर्तन शुरू होता है"
ब्रिटेन में 4 जुलाई को हुए मतदान का परिणाम शुक्रवार सुबह सामने आया। एक सीट पर पुनर्मतगणना के कारण अंतिम परिणाम शनिवार को सुबह तक घोषित किया गया। विपक्षी लेबर पार्टी ने 2005 के बाद ब्रिटिश चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की है।इससे पहले 25 अक्टूबर 2022 को ब्रिटिश पीएम के रूप में पदभार संभालने वाले भारतवंशी ऋषि सुनक ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पीएम पद और कंजरवेटिव कंजरवेटिव पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दिया है। उन्होने करीब 20 महीने
प्रधान मंत्री का पद संभाला।
ऋषि सुनक जब प्रधानमंत्री बने थे सभी को उम्मीद थी कि वह महंगाई को कंट्रोल करेंगे लेकिन इसके विपरीत महंगाई बड़ी और रहन-सहन का खर्च बढ़ने से आम आदमी का जीवन मुश्किल हो गया।
कंजरवेटिव पार्टी के सत्ता में आने के बाद टैक्स में काफी इजाफा हुआ। ऋषि सुनक सरकार ने कई तरह के टैक्स लगाए जिसमे एनआरआई (NRI) टैक्स भी है इसे लेकर खासा विरोध दिखाई पड़ रहा था।
बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सुनक सरकार नाकामयाब रही। 2023 में अर्थव्यवस्था में 0.1% की वृद्धि हुई। और इस साल फिर मंदी आ गई।
कंजरवेटिव पार्टी दो भागों में बंट गई इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई। 8 वर्षों में 4 प्रधानमन्त्री बने। आधे से अधिक मतदाताओं का कहना है की कंजरवेटिव पार्टी को चुनना देश हित में नहीं है। कंजरवेटिव पार्टी के सांसद चुने जाने लायक नहीं है।
अवैध प्रवासी की समस्या भी पार्टी की हार का कारण बनी, जिसे सुलझाने में conservative party सफल नहीं रही। आलोचकों का कहना है कि सरकार को अपनी सीमाओं पर ही नियंत्रण नहीं रहा।
ब्रिटेन में 18 लाख भारतीय मूल के वोटर हैं। 65% ऋषि सुनक से नाराज बताएं जा रहे हैं। इन्हें सुनक से उम्मीद थी। लेकिन वे उनकी उम्मीद पर खरा नहीं उतरे। सुनक की हार के पीछे भारतीय मूल के लोगों का गुस्सा भी है।
प्रधान मंत्री का पद संभाला।
कंजरवेटिव पार्टी की हार के बड़े कारण
1.महंगाई से जनता परेशान
ऋषि सुनक जब प्रधानमंत्री बने थे सभी को उम्मीद थी कि वह महंगाई को कंट्रोल करेंगे लेकिन इसके विपरीत महंगाई बड़ी और रहन-सहन का खर्च बढ़ने से आम आदमी का जीवन मुश्किल हो गया।
2.टैक्स में बढ़ोतरी
कंजरवेटिव पार्टी के सत्ता में आने के बाद टैक्स में काफी इजाफा हुआ। ऋषि सुनक सरकार ने कई तरह के टैक्स लगाए जिसमे एनआरआई (NRI) टैक्स भी है इसे लेकर खासा विरोध दिखाई पड़ रहा था।
3.आर्थिक असफलता
बदहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सुनक सरकार नाकामयाब रही। 2023 में अर्थव्यवस्था में 0.1% की वृद्धि हुई। और इस साल फिर मंदी आ गई।
4.राजनीतिक अस्थिरता
कंजरवेटिव पार्टी दो भागों में बंट गई इससे देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हुई। 8 वर्षों में 4 प्रधानमन्त्री बने। आधे से अधिक मतदाताओं का कहना है की कंजरवेटिव पार्टी को चुनना देश हित में नहीं है। कंजरवेटिव पार्टी के सांसद चुने जाने लायक नहीं है।
5.अवैध प्रवासी
अवैध प्रवासी की समस्या भी पार्टी की हार का कारण बनी, जिसे सुलझाने में conservative party सफल नहीं रही। आलोचकों का कहना है कि सरकार को अपनी सीमाओं पर ही नियंत्रण नहीं रहा।
6.भारतीय मूल के लोगों की नाराजगी
ब्रिटेन में 18 लाख भारतीय मूल के वोटर हैं। 65% ऋषि सुनक से नाराज बताएं जा रहे हैं। इन्हें सुनक से उम्मीद थी। लेकिन वे उनकी उम्मीद पर खरा नहीं उतरे। सुनक की हार के पीछे भारतीय मूल के लोगों का गुस्सा भी है।
संक्षिप्त में जानिए कौन है Keir Starmer
Keir Starmer सरकारी वकील भी है उनका स्लोगन है "देश पहले पार्टी बाद में" वह एक प्रतिभाशाली संगीतकार होने के साथ-साथ फुटबॉल के भी दीवाने हैं। उन्होंने लीड्स व ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटीज में कानून की पढ़ाई की है। कीर स्टॉर्मर की विशेषता है कि वह शुक्रवार शाम को 6:00 बजे बाद ऑफिशियल वर्क नहीं करते है। और वह अपनी आदत प्रधानमंत्री बनने के बाद भी जारी रखेंगे वह अपना समय अपनी पत्नी व दो बच्चों के साथ बिताने के पक्ष में है। उनकी पत्नी डॉक्टर है।
स्टॉर्मर का नाम लेबर पार्टी के संस्थापक कीर हार्डी के नाम पर रखा गया है। स्टॉर्मर बहुत ही सरल स्वभाव के हैं और अपने दोस्तों के प्रति वफादार भी रहते है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नव निर्वाचित प्रधानमंत्री स्टॉर्मर को बधाई दी है। अब नजर भारत और इंग्लैंड के बीच संबंधों पर रहेगी। सबसे ज्यादा चर्चा FTA (मुक्त व्यापार समझौते) को लेकर है। हालाकि लेबर पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में भारत के साथ FTA को लेकर एक सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही है।
स्टॉर्मर का नाम लेबर पार्टी के संस्थापक कीर हार्डी के नाम पर रखा गया है। स्टॉर्मर बहुत ही सरल स्वभाव के हैं और अपने दोस्तों के प्रति वफादार भी रहते है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नव निर्वाचित प्रधानमंत्री स्टॉर्मर को बधाई दी है। अब नजर भारत और इंग्लैंड के बीच संबंधों पर रहेगी। सबसे ज्यादा चर्चा FTA (मुक्त व्यापार समझौते) को लेकर है। हालाकि लेबर पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में भारत के साथ FTA को लेकर एक सकारात्मक रुख अपनाने की बात कही है।