गंगा दशमी(गंगा दशहरा)पर्व 2024
ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को गंगा दशमी (गंगा दशहरा) का पर्व मनाया जाता है । शास्त्रों में गंगा को मोक्षदायिनी नदी माना गया है। हिंदू धर्म में आज के दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप कट जाते है। आज के दिन गंगाजल से तर्पण करने से पितृओं को मुक्ति मिलती है। पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते है। स्नान दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है आज के दिन गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी, इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा या गंगा दशमी के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि राजा भागीरथी ने अपने 60 हजार पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए हजारों वर्ष तपस्या की, तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें कहा कि पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए गंगा को धरती पर लाना जरूरी है, गंगा स्वर्ग में निवास करती है, परंतु गंगा का वेग इतना था कि उन्हें सीधे धरती पर लाने से धरती नष्ट हो सकती थी अतः ब्रह्मा जी के कहने पर भागीरथी ने फिर कठोर तपस्या की और शिव जी को प्रसन्न किया और शिव जी को इस बात के लिए राजी किया कि वे गंगा के तीव्र वेग को अपनी जटाओं में समाहित करेंगे और फिर धरती पर गंगा की धारा को प्रवाहित करेंगे। इस तरह अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए और जगत कल्याण के लिए शिव भगवान और राजा भगीरथ ने अपना योगदान दिया। इसलिए गंगा को बहुत पवित्र नदी माना जाता है शास्त्रोनुसार इसमें स्नान करने से प्राणियों के समस्त पाप नाश् हो जाते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगाजल से पितरों का तर्पण करने से भी उन्हें मुक्ति प्राप्त होती है।
गंगा दशमी के दिन शिव की पुजा का महत्व
शिवजी ने गंगा को अपनी जटा में धारण किया था इसलिए उन्हें गंगाधर, गंगेश्वर भी कहा जाता है, गंगा शिव जी की जटाओं से निकली इसलिए लोग हर हर गंगे उच्चारण करते है।
यदि इस दिन👇
गंगा के जल में गाय का दूध मिलाकर अभिषेक करने से हमें पारिवारिक जीवन में सुख शांति आरोग्यता प्राप्त होती है।
गंगाजल में काले तिल और कनेर के फूल डाल कर शिव जी का अभिषेक करने से कर्जे से मुक्ति प्राप्त होती है।
गंगाजल में गन्ने का रस मिलाकर अभिषेक करने से धन-धान्य और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है
गंगाजल में चमेली का तेल डालकर अगर शिवजी का अभिषेक किया जाए तो व्यक्ति के समस्त शत्रुओं का नाश होता है।
शहद की कुछ बूंदे गंगाजल में मिलाकर यदि शिवलिंग पर चढ़ाया जाए तो सुख और मानसिक शांति प्राप्त होगी।
इस प्रकार इस दिन गंगा स्नान पूजन के साथ-साथ शिव पूजन का भी बहुत अधिक महत्व है, स्नान के पश्चात दान धर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है। लोग अपने अपने परिवार की सुख शांति हेतु गरीबों को दान धर्म करते हुए गंगा दशमी का पर्व मनाते हैं।