भाजपा अरविंद केजरीवाल से क्यों डरती है?
भारतीय राजनीति के केंद्र में भाजपा और अरविंद केजरीवाल का संघर्ष एक महत्वपूर्ण विषय रहा है । यह सवाल उठता है कि भाजपा, जो वर्तमान में देश की सबसे बड़ी और प्रभावशाली पार्टी है, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी( AAP) से क्यों डरती है?
आइए, इस पर विस्तार से विचार करें ।
1. जनाधार और लोकप्रियता
अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में की थी । भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई ने उन्हें जनता के बीच एक मजबूत और ईमानदार नेता के रूप में स्थापित किया । दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में, केजरीवाल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और बिजली- पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार करके लोगों का विश्वास जीता । उनकी लोकप्रियता और जनाधार भाजपा के लिए चुनौती बन गए हैं । भाजपा के डर का एक ये बड़ा कारण यह भी है कि आम आदमी पार्टी लगातार मोदी सरकार की नाक के नीचे तीन बार रिकॉर्ड मतों से जीती है।
2. नए और तकनीकी विचार
केजरीवाल और उनकी पार्टी ने राजनीति में कई नए और तकनीकी पद्धति से तेजी से काम किया है, जिसके लाभ सीधे जनता तक पहुंचे है। उन्होंने हर क्षेत्र में जनता की भागीदारी को बढ़ावा दिया है और सरकारी नीतियों में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है । उनके द्वारा लागू किए गए' मोहल्ला क्लीनिक' और' दिल्ली मॉडल ऑफ एजुकेशन' जैसी योजनाएं देश ही नहीं दुनिया भर में सराही गई हैं । यह नवाचार भाजपा के पारंपरिक दृष्टिकोण के विपरीत है, और इससे भाजपा को अपनी रणनीति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा है ।
3. सीधी चुनौती और आलोचना
केजरीवाल ने हमेशा से भाजपा की नीतियों और कार्यशैली की खुलकर आलोचना की है । चाहे वह नोटबंदी हो, जीएसटी का लागू होना, या किसान आंदोलन — केजरीवाल ने हर मुद्दे पर भाजपा को चुनौती दी है । उनकी यह आलोचना जनता के बीच एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिससे भाजपा को अपनी नीतियों को लेकर बचाव करना पड़ता है ।
उनकी बातों को ध्यान से सुना जाता है। अरविंद केजरीवाल खुलकर भाजपा की मंशा और नीति का खुलासा कर देते है।
चूंकि वे एक IIT इंजीनियर है। और दिल्ली में Income tax Commissioner रह चुके है। इसलिए वो भाजपा की राजनीति और खेल बहुत ही सीधे और सरल अंदाज मे लोगों को समझा पाते है।
4. युवा और निम्न मध्यम वर्ग का समर्थन
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने विशेष रूप से युवा और मध्यम वर्ग के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है । उनकी नीतियां और योजनाएं इस वर्ग की जरूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करती हैं । भाजपा के लिए इस वर्ग का समर्थन खोना एक बड़ी चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि यह वर्ग चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । उन्होंने निम्न मध्यम पर किया लोगों के लिए बहुत सारी योजनाओं को दिल्ली में लागू किया जिसका सीधा-सीधा लाभ गरीब वर्गों को प्राप्त हुआ जैसे उन्होंने कोरोना काल में ऑटो चालकों के खाते में पांच पांच हजार रुपए दल कर मदद की। सभी महिलाओं को बस में फ्री यात्रा की सुविधा दी । उन्होंने बुजुर्गों के लिए तीर्थ यात्रा शुरू की। ऐसी कई बहुत सारी योजनाएं शुरू की जिसका सीधा लाभ गरीब वर्गों को मिला । फ्री राशन सीधा घर पहुंचने की व्यवस्था की और राशन माफिया को खत्म किया। टैंकर माफिया को खत्म किया। भाजपा को डर लगता है क्योंकि वह यह सब सुविधा अपने राज्य में नहीं दे पाए। सरकार में आते ही "बिजली हाफ पानी माफ" कर दिया 200 यूनिट बिजली फ्री कर दी, जिसके डर से भाजपा को भी चुनावों में कहीं 100 200 300 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा अपने मेनिफेस्टो में करनी पड़ी।
5. साफ- सुथरी छवि
भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी सख्त छवि और पारदर्शिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें एक साफ- सुथरे राजनेता के रूप में स्थापित किया है । उनकी कट्टर ईमानदार का तमगा भाजपा को अखरता है। जहां भाजपा को कई बार भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा है, कई भ्रष्ट आरोपों से घिरे सरकार के मंत्री सभी जांच एजेंसियों से बच जाते है। और वही जांच एजेंसी अरविंद केजरीवाल को और उनके मंत्रियों को एक के बाद एक झूठे आरोप व साजिश के तहत उन्हें गिरफ्तार कर बदनाम करने में लगी है। सरकार की सारी शक्तियां केंद्र सरकार द्वारा छीन ली है। क्योंकि एक अरविन्द केजरीवाल ही मुख्य प्रतिद्वंदी के रूप में भाजपा के सामने है।
केजरीवाल की छवि ने उन्हें एक सशक्त विकल्प के रूप में उभारा है । उनकी छवि के डर से आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को मोदी सरकार ने शहरी शासन के दिल्ली मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए वर्ल्ड सिटीज समिट में भाग लेने के लिए सिंगापुर जाने की अनुमति नहीं दी। AAP के दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और हिमाचल प्रदेश के अभियान प्रभारी सत्येंद्र जैन जेल में हैं, जबकि राज्य में चुनाव नजदीक हैं। आप की आबकारी नीति अब उपराज्यपाल द्वारा आदेशित जांच का विषय है। और केजरीवाल के डिप्टी मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की पूरी संभावना है।
जिस शराब घोटाले में मनी ट्रेल की जांच को लेकर सभी मंत्रियों की गिरफ्तारियां की है। उसमे ED और CBI कोई सबूत नहीं जुटा पाई, जबकि जिस व्यक्ति के बयान के आधार पर गिरफ्तारी की उसी व्यक्ति से चुनावी बॉन्ड भरवाए और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ बयान देने के बाद उसे बेल मिलती है।
निष्कर्ष
अरविंद केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता, उनकी नवाचारी नीतियां, और भाजपा की नीतियों के प्रति उनकी तीखी आलोचना ने भाजपा को चुनौतीपूर्ण स्थिति में ला दिया है । केजरीवाल का समर्थन आधार और उनकी साफ- सुथरी छवि भाजपा के लिए चिंता का विषय बन गए हैं । इसीलिए, भाजपा अरविंद केजरीवाल से डरती है और उन्हें एक गंभीर प्रतिस्पर्धी मानती है । इस प्रकार, भारतीय राजनीति में यह संघर्ष जारी रहेगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह किस दिशा में जाता है ।
वास्तव में, गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस मोदी (भाजपा) की असली दुश्मन नहीं है; भगवा पार्टी की असली दुश्मन केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी है।
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