Delhi के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal का जीवन परिचय

बेनामी


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक परिचय:


भारत की सशक्त राजनीति के एक फायर ब्रांड राजनेता के रूप में अरविंद केजरीवाल जाने जाते हैं, विगत 10 वर्षों के एक छोटे से कार्यकाल में अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी को भारत की राष्ट्रीय पार्टी बना दिया जोकि एक रिकॉर्ड है, जहां अन्य पार्टियों को इस मुकाम तक पहुंचने में 20 25 वर्ष लग जाते हैं, वहीं आम आदमी पार्टी को दुनिया में पहचान मिली है। 


भारत में कई पार्टियों सिर्फ क्षेत्रीय वर्चस्व ही कायम रख पाई है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 2 अक्टूबर 2012 को अपनी राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत की थी।  अन्ना आन्दोलन समय उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी की औपचारिक घोषणा की। अपने बहुत से सहयोगियों व फाउंडर सदस्यों के साथ 26 नवंबर 2012 को भारतीय संविधान अधिनियम की 63वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में स्थित जंतर मंतर पर की भारतीय राजनीति में अपनी पार्टी की शुरूआत के साथ उन्होंने अन्ना आंदोलन में पहनी हुई टोपिया को आम आदमी पार्टी व चुनाव चिन्ह झाड़ू में बदल दिया। 

गौरतलब यह है कि इसके बाद से अन्य राजनीतिक दल भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ टोपी में नज़र आने लगे। 

अरविंद केजरीवाल की राजनीति बिलकुल अलग तरह की है।कई ऐसे काम है, जिन्हें अन्य पार्टियों को भी उनके रास्ते पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ा। आम आदमी पार्टी के नेताओं के अक्सर यह बयान आते हैं कि वे राजनीति करने नही राजनीति बदलने आए है।  पार्टी के कार्यों से दिल्ली की जनता खुश है। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद वहां कई परिवर्तनों की शुरुआत हो गई है। 


अरविंद केजरीवाल की 200 यूनिट फ्री बिजली योजना एक चमत्कारी योजना साबित हुई, जिसकी कॉपी देश की मुख्य भाजपा व कांग्रेस पार्टी को भी राज्यों में 100 _ 200 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा करने व लागु करने को बाध्य होना पड़ा। अरविंद केजरीवाल द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में मोहल्ला क्लीनिक भी एक जादुई कांसेप्ट है जिन्होंने जनता को बहुत प्रभावित किया । शिक्षा के क्षेत्र में केजरीवाल सरकार ने बहुत काम किए है जो एक रिकॉर्ड है, आजाद भारत के किसी भी मुख्यमंत्री ने शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में इतने काम नहीं किया जितने अरविंद केजरीवाल ने किए। 


आइए हम अरविंद केजरीवाल के जीवन परिचय से रूबरू होते हैं: 


अरविंद केजरीवाल की जीवनी 


अरविंद केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार जिले के सीवानी शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम गोविंद राम केजरीवाल और माता का नाम गीता देवी है। केजरीवाल के पिता श्री गोविंद राम केजरीवाल पेशे से इंजीनियर थे, उन्होंने जिंदल स्टील में इंजीनियर की नौकरी की।  अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल, जो एक इस आईआरएस ऑफीसर रही है, उनके दो बच्चे हैं बेटे का नाम पुलकित और बेटी का नाम हर्षिता केजरीवाल है।


अरविंद केजरीवाल की शिक्षा व राजनीति से पहले का सफर 


सन 1989 में अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से डिग्री लेकर अपनी पहली नौकरी जमशेदपुर के टाटा स्टील कंपनी में की । 1992 में टाटा स्टील छोड़कर कोलकाता में मदर टेरेसा के संपर्क में रहकर काम किया। केजरीवाल ने वहां लगभग दो महीने बिताए और वापस अपने घर आ गए फिर दिल्ली में रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लग गए कुशाग्र बुद्धि के कारण उन्हें पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त हो गई उन्हें IRS में नौकरी मिल गई लेकिन IAS में जाने की इच्छा की वजह से उन्होंने दोबारा UPSC में प्रयास किया और उन्हें दोबारा फिर सफलता प्राप्त हुई । 1995 में वह आयकर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर बनाए गए।  मैकेनिकल इंजीनियर से राजस्व अधिकारी बन चुके केजरीवाल ने 2006 में आयकर विभाग की नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया शायद उनका जीवन किसी और कार्य के लिए था जब वह नौकरी में थे तब नौकरी के साथ उन्होंने परिवर्तन नाम के NGO से दिल्ली के झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए बहुत काम किया, वहां के राशन माफिया से संघर्ष किया और झुग्गीवासियो के हक की लड़ाई लड़ी। 


इंडिया अगेंस्ट करप्शन   


भारत का राष्ट्र-व्यापी जन-आंदोलन है, जिसके द्वारा देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध कठोर कानून बनाने की मांग की जा रही है। कई जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता जैसे अन्ना हजारे, अरविन्द केजरीवाल, मेधा पाटेकर, किरण बेदी आदि कई सामाजिक कार्यकर्ता इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। (इंडिया अगेंस्ट करप्शन) संतोष हेंगडे, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल भारत के विभिन्न सामाजिक संगठनों और जनता के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद तैयार किया था। इसे लागु कराने के लिए सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और गांधीवादी अन्ना हजारे के नेतृत्व में २०११ में अनशन शुरू किया गया। १६ अगस्त में हुए जन लोकपाल बिल आंदोलन २०११ को मिले व्यापक जन समर्थन ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली भारत सरकार को संसद में प्रस्तुत सरकारी लोकपाल बिल के बदले एक सशक्त लोकपाल के गठन के लिए सहमत होना पड़ा।

RTI एक्टिविस्ट के रूप में भी अरविंद केजरीवाल ने काम किया, फलस्वरूप  राइट टू इनफार्मेशन कानून पास हुआ। 2006 में अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए रमन मैगसे से पुरस्कार से सम्मानितकिया गया 


अरविंद केजरीवाल को प्राप्त सम्मान 


अशोक फेलो अवार्ड 

सत्येंद्र दुबे मेमोरियल अवार्ड 

रमन मैग्सेसे अवार्ड 

लोक सेवा में सीएनएन आईबीएन इंडियन ऑफ़ द ईयर 

वशिष्ठ पूर्व छात्र पुरस्कार 

अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी द्वारा 2013 में सो सर्वोच्च वैश्विक चिंतक में केजरीवाल को शामिल किया गया 

टाइम मैगजीन द्वारा अरविंद केजरीवाल को विश्व के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में शामिल किया गया 


अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर 10 साल में 


2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा और 15 साल से दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को 25000 से भी ज्यादा मतों से हराया इस तरह एक धमाकेदार राजनीतिक एंट्री कर आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव चिन्ह झाड़ू के साथ 70 में से 28 सीट जीतकर भारतीय राजनीति में खलबली मचा दी। जनमत का सम्मान करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई लेकिन यह सरकार सिर्फ 49 दिन ही चल पाई। इन 49 दिनों में मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सिक्योरिटी वापस लौटाई और चुनावी वादे के मुताबिक बिजली हाफ और पानी माफ किया। केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा वीरप्पा मोइली (भारत के पेट्रोलियम मंत्री), भारत के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी की कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी जारी कर दिए। लोकपाल बिल इस चुनाव का प्रमुख मुद्दा रहा था लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा में लोकपाल बिल का विरोध किया परिणाम स्वरूप  केजरीवाल सरकार 49 दिन में ही बिल के गिर जाने के कारण गिर गई।  अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 


आम आदमी पार्टी की पहचान भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली और कट्टर ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाली विचारधारा पर आधारित है अतः ज्यादा दिन कांग्रेस से सामंजस्य  बैठा पाना मुश्किल था। 



अब तक एक फायर ब्रांड नेता के रूप में अरविंद केजरीवाल पूरे देश में छा गए।  भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर लोकसभा 2014 के चुनाव में अरविंद केजरीवाल, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गए। इसी वजह से दिल्ली वालों ने उन्हें राजनीति का कच्चा खिलाड़ी माना और उन्हें भगोड़ा कहां जाने लगा ।  उन्होंने फिर दिल्ली वापस आकर घर-घर जाकर लोगों से माफी मांगी और कहा कि अब वह दिल्ली छोड़कर कभी नहीं  जाएंगे, दिल्ली वासियों ने उन पर पुनः विश्वास कर  पूर्ण बहुमत दिया। इस जीत के लिए अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने दिल्ली में कड़ी मेहनत की ।उन्हें 70 में से 67 सीटे प्राप्त हुई जो एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। 


अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी, रोजगार सीसीटीवी, महिलाओं को फ्री बस यात्रा, बुजुर्गों की तीर्थ यात्रा आदि सभी क्षेत्रों में कई काम किए, जिससे उन्हें पूरे विश्व में पहचान मिली। उनकी प्रसिद्धि और कार्यों से परेशान होकर विपक्षी पार्टियों ने उन्हें खूब बदनाम करने की कोशिश की जो आज तक जारी है। केंद्र सरकार ने ऑर्डिनेंस लाकर लगभग दिल्ली सरकार के सारे अधिकार छीन लिए गए। 


आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं मंत्रियों विधायकों पर एफआईआर दर्ज कराई गई CBI, ED के छापे मारे गए तथागत शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लिया गया।आप के दो बड़े शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन डेढ़ दो साल से जेल में है जिन पर सिर्फ अभी जांच ही चल रही है कुछ भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ। 

अरविंद केजरीवाल का संघर्ष वर्तमान तक जारी है और 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रचार हेतु अभी 20 दिन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत का आदेश दिया है ।

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