SBI Electoral Bonds

बेनामी


इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में 15 फरवरी को आए फैसले में Supreme Court के CJI, चंद्रचूड़ ने इलेक्टोरल बॉन्ड को unconstitutional करार दिया और एसबीआई को ये निर्देश दिया था कि एसबीआई इलेक्टोरल बॉन्ड के सारे डिटेल्स Election commission of India से शेयर करेगा । 

महत्वपूर्ण है कि किसने उस बॉन्ड को खरीदा है? कितने denomination का लिया है। ECI को ये जानकारी अपने वेबसाइट पर शो करनी है, , 13 मार्च तक एसबीआई को ये जानकारी शेयर करने को कहा था, लेकिन SBI ने इतने इंतजार के बाद SC में एक एक्सटेंशन एप्लीकेशन फाइल की है इस एक्सटेंशन फाइल में उन्होंने लिखा है, जारी करना उनके पास दो सेट में डेटा है । एक issuenc का डेटा है और दूसरा redeem बॉन्ड का जिसे reedem कराया गया है, उसका deta है। कुल मिलाकर 44334 जो डेटा है जिसे 3 हफ्ते में इस प्रोसेस को करना पॉसिबल नही है। इसलिए उन्होंने 30 जून तक सुप्रीम कोर्ट से मोहलत मांगी है।

State Bank of India ने जो लॉजिक दिया है वो यह कि जो डोनर्स है, उनकी आइडिंटिटी को disclose नहीं करना था इसलिए हमने दो अलग अलग साइलो में डेटा बनाया एक वो जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू किए थे और दूसरे जिन्होंने reedem किया था इसलिए इश्युंस ऑफ बॉन्ड का डेटा और रिडेम्शन ऑफ बॉन्ड का डेटा दोनों अलग है, एसबीआई ने एप्लीकेशन में इसी आधार पर और समय मांगा है कि दोनो डेटा को मैच करना जो पिछले 6 सालों में करीब 22000 बॉन्ड खरीदे गए अगर इन डेटा को डबल कर दिया जाए तो ये 44334 के लगभग है, जिन्हें इतनी जल्दी प्रोसेस करना मुश्किल होगा ।


एसबीआई सेंट्रल के फाइनेंशियल मिनिस्ट्री के अंडर ही आती है, जिससे सरकार पर भी बहुत बड़ा सवाल उठता है ।


कि क्या ये एक बड़ा अपराधिक षड्यंत्र नहीं है?



AI और डिजिटल के युग में जहां किसी भी प्रकार की जानकारी एक क्लिक से प्राप्त हो जाती है, वहां एसबीआई को SC को ये जवाब देने में 20 दिन लग गए कि इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी को पोर्टल में लाने के लिए 3 महीने का समय और लगेगा ।
क्योंकि जब तक लोकसभा चुनाव हो चुके होंगे । 

अगर आप जानना चाहते है कि इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है 
कृपया इस लिंक को open करिए:
https://trendskhbar.blogspot.com/2024/02/blog-post.html?m=1


सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों के फैसले की धज्जियां उड़ाते हुऐ एसबीआई ने बेहद ही अतार्किक आवेदन प्रस्तुत किया है । तमाम ECI के अधिकारी और SBI officials के साथ साथ सरकार की मंशा पर भी गंभीर सवाल उठते है।

इससे जाहिर होता है कि ये इलेक्टोरल बॉन्ड का सच चुनाव के पहले सामने आने नही देना चाहते , इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वाले और भुनाने वालों के नाम आने से कइयों की काली करतूत सामने आ जाएगी। EVM के खिलाफ चल रही मुहिम में सबसे प्रमुख और सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील महमूद प्राचा ने कहा है, कि ये साफ साफ contempt of court है, हम एसबीआई के अधिकारियों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ेंगे


ADR (Associate for democratic Reform) जो इस केस में petitioners थी वो एसबीआई के इस plea को dismiss करने की मांग रखेंगे । और एसबीआई से क्रॉस questions करेंगे कि जो बैंक इतनी वेल डिजिटालाइज और कंप्यूटराइज्ड है उस बैंक को एक क्लिक से निकलने वाली information provide करने में इतना समय क्यूं चाहिए ।

अंदाजा लगाया जा रहा है की एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा के डिजिटल फॉमेट में save ही नहीं किया है। सारे important documents paper पर ही सेव है।

देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम क्या होगा

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