हरियाणा की बेटी kalpana Chawla USA में PHD, NASA का मिशन

बेनामी


जब कल्पना चावला ने भरी अंतरिक्ष की उड़ान


हरियाणा की बेटी कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की पहली महिला और राकेश शर्मा के बाद दूसरी अंतरिक्ष यात्री थी।

अपने जीवन में कल्पना चावला ने दो स्पेस उड़ान भरी पहली में सफल रही, किंतु दूसरी बार स्पेस से लौटते वक्त कोलंबिया स्पेस शटल आग के गोले में परिवर्तित हो गया, उनके शटल के एक हिस्से में खराबी आ गई थी, जिससे पृथ्वी पर लौटते समय अंतरिक्ष यान के हजारों टुकड़े हो गए। एक बहुत भयानक धमाके के साथ स्पेस के परखच्चे उड़ गए कल्पना समेत सभी 6 साथियों की दर्दनाक मौत हो गई । जिस दिन ये घटना घटी 1 फरवरी 2003, तारीख थी । महज 40 साल की उम्र में कल्पना चावला अमेरिका के टैक्सास में स्पेस दुर्घटना का शिकार हो गई ।


कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था 


बचपन से ही आसमान में उड़ान भरने की कल्पना करने वाली कल्पना चावला ने न केवल अपना सपना पूरा किया, बल्कि असाधारण उड़ान भरकर दुनिया भर में अपने देश का नाम रोशन कर दिया.



2003 में उन्होंने कोलंबिया शटल से अंतरिक्ष के लिए अपनी दूसरी उड़ान भरी तो हर देशवासी ने खुद को गौरांवित महसूस किया लेकिन किसको पता था कि यह उनकी आखिरी उड़ान साबित होगी. 


कल्पना चावला की शिक्षा


उनकी स्कूली शिक्षा करनाल में हुई। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से B Tech किया।
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए वे अमेरिका चली गईं. 1984 में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास ( यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका) से  एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. 1988 में University of Colorado boulder से एयरो स्पेस में PhD की। और उसी साल से उन्होंने NASA के साथ काम करना शुरू किया. साल 1991 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई और NASA में वे एस्ट्रोनॉट कॉर्प्स से जुड़ गई..



कैसे और कहां हुई चूक


 


हालांकि, दावा किया जाता है कि स्पेसक्राफ्ट में समस्या की जानकारी नासा के वैज्ञानिकों को पहले से थी. इसके बावजूद शटल में इसका इस्तेमाल जारी रखा गया. आइए समझने की कोशिश करते है कि आखिर उस दिन क्या हुआ था..



कल्पना चावला अपने 6 साथियों के साथ 16 जनवरी, 2003 को स्पेस शटल प्रोग्राम के 113वे मिशन पर रवाना हुई


इनकी वापसी 1 फरवरी, 2003 को थी. तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि इस टीम की ये आखिरी उड़ान होगी, पूरी दुनिया की नजरें टीवी पर टिकी थीं. शटल को कैनेडी स्पेस सेंटर में 9 बजे उतरना था, लेकिन सुबह 9 बजे से ठीक पहले मिशन कंट्रोल के दौरान असामान्य रीडिंग नोट की गईं. शटल के बाएं विंग के सेंसर से तापमान की रीडिंग नहीं मिल रही थी और अचानक बाईं ओर के टायर की प्रेशर रीडिंग भी गायब हो गई. 
लैंडिंग के ठीक पहले बिगड़ गए थे हालत
शटल का कंट्रोल खोने में सिर्फ 40 सेकेंड लगे, जिसे संभल पाना नामुमकिन सा था ।



जांच के दौरान बाद में पता चला कि शटल के बाहरी टैंक से फोम का एक बड़ा हिस्सा टूट कर अलग हो गया था और स्पेस शिप का विंग भी इसी के चलते टूट गया था. बाएं विंग में एक छेद हो गया था, जिससे बाहर की गैसें शटल में घुसने लगीं और सेंसर खराब हो गए थे. यह भी दावा किया गया कि इस फोम में समस्या की जानकारी नासा के वैज्ञानिकों को पहले से थी. इसके बावजूद शटल में इसका इस्तेमाल जारी रखा गया.



तब कोलंबिया शटल अमेरिका के टेक्सास प्रांत में डलास शहर के पास था और आवाज की गति से भी 18 गुना तेजी से जमीन की ओर 61,170 मीटर की ऊंचाई से नीचे आ रहा था.


मिशन कंट्रोल ने कोलंबिया में सवार अंतरिक्ष यात्रियों से संपर्क करने की कई कोशिशें कीं पर सफलता नहीं मिली. इसके 12 मिनट बाद ही ,  एक टीवी चैनल पर आसमान में शटल के टूटने का वीडियो आने लगा और पूर्वी टेक्सास में लगभग 2,000 वर्ग मील क्षेत्र में फैले शटल के 84 हजार टुकड़े बरामद किए गए. 


स्पेस शटल के कुल वजन का 40 फीसदी मलबा ही मिला


और नासा ने अंतरिक्ष यात्रियों के लापता होने की घोषणा कर दी और कोलंबिया का मलबा खोजना शुरू कर दिया. 
कुल 40 प्रतिशत ही कोलंबिया के टुकड़ों को खोज पाई, इन्ही में ही कल्पना चावला और उनके साथियों के भी टुकड़े थे, जिनकी डीएनए जांच के बाद पुष्टि की गई ।
कुछ इंजीनियर का यह भी मानना है कि स्पेस शटल में फोम के कारण जो डैमेज हुआ था वह काफी बड़ा था.
एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कल्पना और उनके छह साथी अंतरिक्ष यात्रियों के पास बचने या सुधार का कोई समय ही नहीं था, क्योंकि शटल का कंट्रोल खोने और केबिन का प्रेशर बुरी तरह से बिगड़ने में सिर्फ 40 सेकंड लगे थे.


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