Ameen Sayani Passes Away:

बेनामी

 

गुम हो गई दिल को छू लेने वाली आवाज, 

अलविदा अमीन सयानी 


जैसे ही भाईयो और बहनों की आवाज़ कान में पड़ती एक खुशी की लहर के साथ पूरे हॉल तालियों से गुंज जाता था ।


91 वर्ष की आयु में अमीन सयानी ने दुनिया को अलविदा कह दिया ।मुंबई में मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। 





Ameen Sayani Passes Away:  मुंबई में मंगलवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके बेटे राजिल सयानी ने बुधवार को यह जानकारी दी। मुबंई के एक बहुभाषी परिवार में 21 दिसंबर, 1932 को जन्मे सयानी ने 42 वर्षों में 50,000 से अधिक कार्यक्रमों का संचालन किया और उन्हें अपनी आवाज दी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, ‘उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार, प्रशंसकों और सभी रेडियो प्रेमियों के प्रति संवेदना। उनकी आत्मा को शांति मिले।’


सयानी को बचपन से ही लिखने का शौक था और महज 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी मां की पाक्षिक पत्रिका ‘रहबर’ के लिए लिखना शुरू कर दिया था। रेडियो सिलोन पर बिनाका गीतमाला उन्होंने 1952 में शुरू किया और सब उनके अंदाज और आवाज के दीवाने हो गए ।उन्होंने आकाशवाणी पर 30 दशक से भी ज्यादा वक्त बिताया उनकी आवाज को लोग कान लगाकर सुनते और दिल में बसा लेते है ।

अमीन सयानी साहब की आवाज सदियों तक लोगों के दिलों में जिंदा रहेगी।


अमीन सयानी (Ameen Sayani) एक ऐसा नाम जिसने लोगों के दिलों पर अपनी आवाज के दम पर 5 दशकों तक राज किया. आवाज के कद्रदानों के लिए आज रोने का दिन है. क्योंकि जिस मखमली आवाज को सुनकर बड़े हुए थे, वो खामोश हो चली है. अमीन सयानी की जिंदगी का सफर उनकी आवाज की तरह शानदार रहा है.


मखमली आवाज के मालिक अमीन सयानी, एक अदबी और जिंदादिल व्यक्तित्व थे. उन्होंने मुंबई के सेंट्स जेवियर्स कालेज से अपनी पढ़ाई की, और पढ़ाई के साथ साथ अपना कैरियर भी शुरू किया । वे एक मेघावी छात्र थे, उन्हें लिखने का भी शौक था उस समय कॉलेज में म्यूजिकल प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग हुआ करती थी. जहां से उनके आवाज के सफर की शुरुआत हुई।


अमीन सयानी ने अपनी जिंदगी में बहुत सम्मान और खिताब प्राप्त किए।


2009

पद्म श्री

2006

लिविंग लीजेंड अवॉर्ड

1991 

इंडियन सोसाइटी ऑफ एटवरटाइजमेंट की तरफ से गोल्ड मेडल

1992

पर्सन ऑफ द ईयर अवॉर्ड

2003

कान हॉल ऑफ़ फेम अवॉर्ड 


इसके अलावा भी उन्हें कई छोटे बड़े पुरुस्कार प्राप्त हुए।



1930 में रेडियो का राष्ट्रीयकरण हुआ. 1956 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी नाम दिया गया. 

आकाशवाणी और अमीन सयानी एक दूसरे के पर्याय बन चुके थे. बिनाका गीतामाला, सिबाका गीतमाला,कोलगेट गीत माला से अमीन सयानी की ख्याति देश के कोने-कोने में पहुंच चुकी थी. 

अमीन सयानी ने अपनी आवाज और खास शैली  लोगों को बहुत प्रभावित करती थी। लोग उनके कार्यक्रमों का इंतजार करते थे ।

अमीन सयानी साहब आज भले ही दुनिया से रुखसत हो गए है लेकिन उनकी आवाज हमेशा सबके दिलों पर राज करती रहेगी ।

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