Guru Ravidas jayanti Magh Purnima February 2024

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Ravidas Jayanti:2024



रविदास जयंती महत्व

रविदास जी की जन्मतिथि को लेकर कई मत भी हैं. लेकिन रविदास जी की जन्म की तिथि को लेकर एक दोहा प्रचलित है

, -‘चौदस सो तैंसीस कि माघ सुदी पन्दरास. दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास’. इसका अर्थ है कि गुरु रविदास का जन्म माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन 1433 को हुआ था.
संत रविदास का जन्म सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में हुआ था
उनका नाम 'रत्नाकर' था, लेकिन उनके भक्तिभाव के कारण उन्हें 'रविदास' कहा जाने लगा।



संत गुरु रविदास भक्ति आंदोलन के एक भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे.


हर साल की तरह संत रविदास जी के सम्मान में इस वर्ष भी रविदास जयंती माघ पूर्णिमा के दिन 24 फरवरी, शनिवार, 2024 को मनाई जा रही है.

इस दिन का विशेष महत्व है. भारत में रविदास जी की जयंती के इस विशेष अवसर को मनाने के लिए विभिन्न देशों से भी लोग आते हैं




संत रविदास के समय का सामाजिक परिदृश्य:


समाज में जातिवाद और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने का समय था।



संत रविदास ने भारतीय समाज को जागरूक किया उन्होंने भक्ति को माध्यम के रूप में अनदेखी और असहिष्णुता के खिलाफ एक शक्तिशाली साधन बनाकर समाज में समानता और सहिष्णुता का संदेश फैलाया।


उनका संदेश था कि हर व्यक्ति को समाज में समाहित होने का अधिकार है और कोई भी उन्हें इससे वंचित नहीं कर सकता।।


वे जाति, पंथ या लिंग की परवाह किए बगैर सभी लोगों की समानता में विश्वास करते थे.



संत रविदास' के भजनों और ग्रंथो के माध्यम से समाज में भक्तिभाव का संदेश पहुंचा। 'संत रविदास' को उस समय के प्रमुख आध्यात्मिक गुरु और संतों की सूची में जोड़ा गया और उनके उपदेश ने समाज को सही दिशा में पहुंचाया। उनके भजनों से लोगों के दिलों में भक्ति की भावना प्रवाहित होती है।

संत रविदास की विशेषता:

भक्ति और सामाजिक समर्पण संत रविदास की विशेषता है। उन्होंने सामाजिक असमानता के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और जातिवाद के खिलाफ खुलकर बोले।


उनका संदेश था कि भक्ति के माध्यम से ही हम सभी में एकता और समर्पण की भावना को जगा सकते हैं।

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