रथ सप्तमी ( Rath Saptami) एवं नर्मदा सप्तमी, 2024
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष के सातवें दिन को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व इस अद्वितीय समय पर रथ सप्तमी का आयोजन हुआ
आईए इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम इस धार्मिक उत्सव के महत्व, रूपरेखा, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को जानेंगे।
माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी मनाई जाती है. सूर्य की किरणों से कई रोग दूर होते है, प्रकृति को जीवन प्राप्त होता है इसलिए इसे आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन ऋषि कश्यप और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को सूर्य की जन्मतिथि भी कहा जाता है. इस दिन पूजा और उपवास से आरोग्य व संतान की प्राप्ति होती है, इसलिए इसको आरोग्य सप्तमी और पुत्र सप्तमी भी कहा जाता है. आज सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना शुरू करते हैं, इसलिए इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं.
2024 में कब है रथ सप्तमी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल सप्तमी को रथ सप्तमी मनाई जाती है. इस वर्ष यह तिथि 15 फरवरी यानी कल सुबह 10 बजकर 12 मिनट से शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 16 फरवरी यानी आज सुबह 08.54 मिनट पर होगा. उदिया तिथि के कारण रथ सप्तमी 16 फरवरी यानी आज दिन भर मनाई जाएगी।
रथ सप्तमी पूजा पाठ
रथ सप्तमी पर स्नानादि के बाद सूर्य को जल अर्पित करें. घर के बाहर या मध्य में सुंदर सी रंगोली बनाएं. उसके ऊपर में चार मुख वाला दीपक रखें और प्रज्ज्वलित करें. दीपक की लाल पुष्प, कुमकुम हल्दी से पूजा करे और शुद्ध मीठा पदार्थ का भोग लगाते . गायत्री मंत्र या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. जाप के किसी ब्राह्मण को गेहूं, गुड़, तिल, ताम्बे का बर्तन और लाल वस्त्र का दान करें. ये सभी सूर्य की वस्तुएं है, जिससे सूर्य भगवान प्रसन्न होकर वरदान देते है
रथ सप्तमी 2024: आसमानी यात्रा का महत्व
सप्तमी के दिन, सूर्य देव के रथ की यात्रा ने आकाश को चमकाया। इस वर्ष, भक्तों ने अपने घरों को सजाकर इस दिव्य घड़ी को साझा किया। रथ सप्तमी के दिन, गलियों में ध्यान, भजन और कीर्तन की गूंथ बुनी गई, जिससे सूर्य की यह आसमानी यात्रा एक अद्वितीय और प्रेरणादायक अनुभव बन गई।
परंपराएं और उत्साह:
नर्मदा सप्तमी, न केवल एक धार्मिक त्योहार था, बल्कि यह एक परंपरागत और सांस्कृतिक उत्सव का भी अंश बन गया था। परिवारें एक साथ आए, अपने घरों को रंग-बिरंगे सजाकर और दीपों से प्रकाशमय करे। यह दिन परंपरा और वर्तमान के बीच एक गहरा जुड़ाव बनाए रखने की भावना के रूप में निर्मित हुआ, जो प्राचीन रीतिरिवाजों की श्रद्धांजलि थी।रथ सप्तमी की सच्चाई धार्मिक सीमा से परे बढ़ती है, सामाजिक संगठन को मजबूती देने के रूप में। 1923 में, जनता ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए उत्सुकता दिखाई, जिसमें पारंपरिक नृत्य रूप, संगीत, और कला का प्रदर्शन शामिल था। इस आत्मीयता और सांस्कृतिक समृद्धि का संगम, सामाजिक समृद्धि की एक विकसीत पृष्ठभूमि बनाता है।
रथ सप्तमी और नर्मदा सप्तमी का सांस्कृतिक एवं पारंपरिक महत्व:
सूर्यदेव के रथ की यात्रा के माध्यम से हमारी जीवन यात्रा को आदर्शित करने का प्रयास करता है।
नर्मदा सप्तमी, भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो नर्मदा देवी की पूजा के लिए समर्पित है। इस सप्तमी का आयोजन विशेष रूप से मध्यप्रदेश और गुजरात के क्षेत्रों में किया जाता है, जहां नर्मदा नदी अपनी शुद्धता और महत्वपूर्णता के लिए प्रसिद्ध है।
इस दिन, लोग नदी के किनारे जाकर पूजा करते हैं और अपनी आराधना के माध्यम से नर्मदा देवी का कृपांजलि अर्पित करते है, सप्तमी का आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि प्राकृतिक स्रोतों का समर्पण करना हमारी जिम्मेदारी है। इसके माध्यम से, हम अपने पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हैं और इसे सुरक्षित रखने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता करते हैं।